Friday 31 August 2018

पैदा होते ही बेचारी करार दिया जाता था।बङी होने पर पहले यही समझा दिया जाता था । पराया धन हो तुम। तुम परायी अमानत हो। हाँ बार बार यही बताया जाता था। ससुराल में भी चैन नहीं  अपनों से ही दबा दिया जाता था। कुछ बोले अगर तो यही समझा दिया जाता था। औरत हो तुम्हें दब कर ही रहना है हर सितम तुम्हें ही सहना हैं।अब सोच नयी आई हैं  अब औरत भी साँस ले पाई हैं।हाँ हर जगह अब अपनी  पहचान बनाई है।हर हाल में बस जीती थी अब शान से चलती हैं हाँ ये वही औरत  हैं।

बदलते रिश्ते

क्यों हो जाते हैं अपने कभी पराये
ऐसा लगता है गैरों के घर चले आए।
क्यों दर्द सा दिल में कुछ चुभता है
इन आँखों से बहता पानी, क्यों गालों को चुमता है।
माना हो सकती है गलती फीर भी
क्या कोई गलती पे रिश्ता तोड़ देता है।
हमें मालूम नहीं क्यों जी रहे हैं
क्यों इस गम को अकेले पी रहे हैं।
             रश्मि Nikki

Wednesday 22 August 2018

हाँ इक चिराग जलाया था

तेरी यादों में हमने
ये चिराग जलाया था।
तेरी मौहब्बत का था यकीन
तब ये घरौंदा बनाया था।

इसकी दरो दिवार को
प्यार के गुलशन से सजाया था।
इसकी कमरों को अपने
प्यार से महकाया था।
हाँ हमने इक चिराग जलाया था।
       रश्मि Nikki

Sunday 19 August 2018

याद

तेरी यादों के साएं को दामन मे छुपाए बैठे हैं
जी चाहता है देखती रहूँ हरपल
नजरों में बस आप समाए बैठे हैं।

किसी और को अब क्या कहुँ
खुद को खुद से ही छुपाए बैठे हैं।
बहक जाए न दिल फिर कहीं
बङी मुश्किल से संभाले बैठे हैं।
                   रश्मि  Nikki

Saturday 11 August 2018

अच्छा लगता है

तेरी बातें सुनना मुझको अच्छा लगता है
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है


          हर पल तेरी याद सताती मुझको तङपाती  है
              आकर कैसे हाल बताऊ याद तेरी आती है
न जाने कयों याद करना अच्छा लगता है
तेरी बातें सुनना मुझको अच्छा लगता है
              तु जो खफा हो जाते हो दिल मेरा घबराता है
             कैसे मनाऊ तुझको सोचता रह जाता है
न जाने कयों खफा होना तेरा अच्छा लगता है
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है
                          रश्मि

Monday 6 August 2018

इन्तजार

 बहुत जमाने बाद महफीले यार कि होगी
कुछ शीकवे कुछ शीकायत सारी रात  तो होगी।
   
           किस तरह गुजारा है हर लम्हा हमने
               हर रात गुजारी है सिसकियों मे।
उनके आने कि आहट जो  मिल गई है
कैसे बताऐ  हम कि तकदीर खुल गई है।
              हर दर्द गुम जाएगा गुमनामी के अंधेरों मे
            हर लम्हा जैसे रूक जाएगा उनकी ही कदमों मे।
खामोश साँसों को जैसे फिर से साँस मिल गई है
हाँ उनके आने कि आहट ही नयी जान दे गई है।
                              रश्मि

Saturday 4 August 2018

खो जाते है हम


अक्सर अकेले हो जाते है हम तनहाई मे अक्सर कहीं खो जाते है हम ये तेरे प्यार का असर है साकी दूनिया से बेगाने हो
जाते है हम तू ही हर तरफ नजर आने लगा है हमें अक्सर रातों मे जगाने लगा है हमें रातों मे जगाकर कहीं खो जाते हो तुम अक्सर अकेले में याद आ जाते हो तुम अक्सर अकेले हो जाते है हम तनहाई मे अक्सर कहीं खो जाते है हम

                            रश्मि Nikki 

नपुंसक रोली ने आज फिर अपने ही कमाये पैसे पति से मागें तो  उसपर बहुत चिल्लाने लगा और हाँथ भी उठाया।रोली आज कुछ विचलीत थी उसे फैसला लेना ही ...