बहुत जमाने बाद महफीले यार कि होगी
कुछ शीकवे कुछ शीकायत सारी रात तो होगी।
हर रात गुजारी है सिसकियों मे।
उनके आने कि आहट जो मिल गई है
कैसे बताऐ हम कि तकदीर खुल गई है।
हर दर्द गुम जाएगा गुमनामी के अंधेरों मे
हर लम्हा जैसे रूक जाएगा उनकी ही कदमों मे।
खामोश साँसों को जैसे फिर से साँस मिल गई है
हाँ उनके आने कि आहट ही नयी जान दे गई है।
रश्मि
कैसे बताऐ हम कि तकदीर खुल गई है।
हर दर्द गुम जाएगा गुमनामी के अंधेरों मे
हर लम्हा जैसे रूक जाएगा उनकी ही कदमों मे।
खामोश साँसों को जैसे फिर से साँस मिल गई है
हाँ उनके आने कि आहट ही नयी जान दे गई है।
रश्मि
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