Sunday 23 September 2018

कुछ दिल में चुभता है
कुछ आँखों से बहता है।
हाँ इक दर्द है जो
किसी से भी नहीं छुपता है।
नम आंखों में सब दिखता है
ऐ दिल तु कितना भी
छुपा ले अपनों से कहाँ छिपता है।
एक खामोशी कि दिवार है पर
फिर भी दर्द आँखो से छलकता है।
कुछ दिल में चुभता है
कुछ आँखों से बहता है।


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