पैदा होते ही बेचारी करार दिया जाता था।बङी होने पर पहले यही समझा दिया जाता था । पराया धन हो तुम। तुम परायी अमानत हो। हाँ बार बार यही बताया जाता था। ससुराल में भी चैन नहीं अपनों से ही दबा दिया जाता था। कुछ बोले अगर तो यही समझा दिया जाता था। औरत हो तुम्हें दब कर ही रहना है हर सितम तुम्हें ही सहना हैं।अब सोच नयी आई हैं अब औरत भी साँस ले पाई हैं।हाँ हर जगह अब अपनी पहचान बनाई है।हर हाल में बस जीती थी अब शान से चलती हैं हाँ ये वही औरत हैं।
एक पयारा सा एहसास एक खूसनूमा पल जब हमारे दिल से निकल कर एक या चंद लाइनों मे हमारे जेहन मे आ जाती है वही तो शायरी है एक मीठा एहसास थोड़ा सा पयार थोड़ा टकरार सब शायरी मे समा जाती है और जब यही बातें शब्दों का रूप लेकर बड़ी हो जाती है तो वही कहानियां बन जाती है।
Friday, 31 August 2018
Wednesday, 22 August 2018
Sunday, 19 August 2018
Saturday, 11 August 2018
अच्छा लगता है
तेरी बातें सुनना मुझको अच्छा लगता है
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है
हर पल तेरी याद सताती मुझको तङपाती है
आकर कैसे हाल बताऊ याद तेरी आती है
न जाने कयों याद करना अच्छा लगता है
तेरी बातें सुनना मुझको अच्छा लगता है
तु जो खफा हो जाते हो दिल मेरा घबराता है
कैसे मनाऊ तुझको सोचता रह जाता है
न जाने कयों खफा होना तेरा अच्छा लगता है
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है
रश्मि
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है
आकर कैसे हाल बताऊ याद तेरी आती है
न जाने कयों याद करना अच्छा लगता है
तेरी बातें सुनना मुझको अच्छा लगता है
तु जो खफा हो जाते हो दिल मेरा घबराता है
कैसे मनाऊ तुझको सोचता रह जाता है
न जाने कयों खफा होना तेरा अच्छा लगता है
न जाने कयों मिलना तुमसे अच्छा लगता है
रश्मि
Monday, 6 August 2018
इन्तजार
बहुत जमाने बाद महफीले यार कि होगी
कुछ शीकवे कुछ शीकायत सारी रात तो होगी।
हर रात गुजारी है सिसकियों मे।
उनके आने कि आहट जो मिल गई है
कैसे बताऐ हम कि तकदीर खुल गई है।
हर दर्द गुम जाएगा गुमनामी के अंधेरों मे
हर लम्हा जैसे रूक जाएगा उनकी ही कदमों मे।
खामोश साँसों को जैसे फिर से साँस मिल गई है
हाँ उनके आने कि आहट ही नयी जान दे गई है।
रश्मि
कैसे बताऐ हम कि तकदीर खुल गई है।
हर दर्द गुम जाएगा गुमनामी के अंधेरों मे
हर लम्हा जैसे रूक जाएगा उनकी ही कदमों मे।
खामोश साँसों को जैसे फिर से साँस मिल गई है
हाँ उनके आने कि आहट ही नयी जान दे गई है।
रश्मि
Saturday, 4 August 2018
खो जाते है हम
अक्सर अकेले हो जाते है हम तनहाई मे अक्सर कहीं खो जाते है हम ये तेरे प्यार का असर है साकी दूनिया से बेगाने हो
जाते है हम तू ही हर तरफ नजर आने लगा है हमें अक्सर रातों मे जगाने लगा है हमें रातों मे जगाकर कहीं खो जाते हो तुम अक्सर अकेले में याद आ जाते हो तुम अक्सर अकेले हो जाते है हम तनहाई मे अक्सर कहीं खो जाते है हम
रश्मि Nikki
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नपुंसक रोली ने आज फिर अपने ही कमाये पैसे पति से मागें तो उसपर बहुत चिल्लाने लगा और हाँथ भी उठाया।रोली आज कुछ विचलीत थी उसे फैसला लेना ही ...
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तेरी यादों के साएं को दामन मे छुपाए बैठे हैं जी चाहता है देखती रहूँ हरपल नजरों में बस आप समाए बैठे हैं। किसी और को अब क्या कहुँ खुद ...
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जी चाहता है आज फीर तुमसे मौहब्बत कर लूँ थोड़ी सी आज फिर शरारत कर लूँ तुम ही हो जीसने मुझे जीना सीखाया तुम ही हो जीसने कुछ करना सीखाया...





