Thursday, 27 September 2018

मुलाकात तो होगी

बात तो होगी हाँ इकरार तो होगी
पर न जाने कब वो मुलाकात तो होगी
एक -एक लम्हा बित रहा कैसे क्या बताऊँ
न जाने कब वो  बहारें शाम तो होगी
यकीं है हमें याद आएगी उन्हें भी हमारी
पर न जाने कब वो रात तो होगी
 बात तो होगी हाँ इकरार तो होगी
पर न जाने कब वो मुलाकात तो होगी

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